
भावप्रकाश का निर्माण संस्कृत के विद्वान कवि आचार्यश्री भावमिश्र द्वारा सन् 1500 से 1600 के मध्य किया गया था। अंग्रेजी में इस ग्रन्थ को में इण्डियन मैटीरिया मेडिका ऑफ श्री भावमिश्र (Indian Materia Medica of Shri Bhavamishra) कहते हैं। भावप्रकाश निघण्टु उसी ग्रन्थ का एक खंड है |
भाव मिश्र को प्राचीन भारतीय औषधि-शास्त्र का अन्तिम आचार्य माना जाता है। उनकी जन्मतिथि और स्थान आदि के बारे में कुछ भी पता नहीं है किन्तु इतना ज्ञात है कि सम्वत १५५० (1550) में वे वाराणसी में आचार्य थे और अपनी कीर्ति के शिखर पर विराजमान थे। उन्होने भावप्रकाश नामक आयुर्वेद ग्रन्थ की रचना की है। उनके पिता का नाम लटकन मिश्र था।
आचार्य भाव प्रकाश का समय सोलहवीं सदी के आसपास है। आचार्य भाव मिश्र अपने पूर्व आचार्यो के ग्रन्थों से सार भाग ग्रहण कर अत्यन्त सरल भाषा में इस ग्रन्थ का निर्माण किया है।
सम्पूर्ण भावप्रकाश निघण्टु ग्रंथ की सूची आपकी जानकारी के लिये निम्नलिखित है |
पूर्व खण्ड
- सृष्टिप्रकरण तथा ग्रन्थारम्भ
- गर्भप्रकरणम
- बालप्रकरणम
- दिनचर्यादिप्रकरणम
- मिश्रप्रकरणम
भावप्रकाश निघण्टु
- कर्पूरादिवर्गः
- गुडूच्यादिवर्गः
- पुष्पवर्गः
- वटादिवर्गः
- आम्रादिफलवर्गः
- धात्वादिवर्गोपरनामको धातूपधातुरसोपरसरत्नो…
- धान्यवर्गः
- शाकवर्गः
- मांसवर्गः
- कृतान्नवर्गः
- वारिवर्गः
- दुग्धवर्गः
- दधिवर्गः
- तक्रवर्गः
- नवनीत वर्गः
- घृतवर्गः
- मूत्रवर्गः
- तैलवर्गः
- सन्धानवर्गः
- मधुवर्गः
- इक्षुवर्गः
द्वितीय भाग
- तत्र सप्तमं…
- भेषजविधानप्रकरणम
- धात्वादिशोधनमारण विधिप्रकरणम ३
- स्नेहपानविधिप्रकरणम
- पंचकर्मविधिप्रकरणम
- धूमपानादिविधिप्रकरणम
- रोगिपरीक्षाप्रकरणम
मध्यखण्ड
प्रथम भाग
- ज्वराधिकारः तत्राष्टमं चिकित्साप्रकरण…
- ज्वराधिकारः तत्राष्टमं चिकित्साप्रकरण…
- ज्वराधिकारः तत्राष्टमं चिकित्साप्रकरण…
- ज्वराधिकारः तत्राष्टमं चिकित्साप्रकरण…
- अतिसाराधिकारः
- ज्वरातिसाराधिकारः
- ग्रहणीरोगाधिकारः
द्वितीय भाग
- अशोऽधिका…
- जठरान्निगविकाराधिकारः
- कृमिरोगाधिकारः
- पाण्डुरोगकामलाहलीमकाधिकारः
- रक्तपित्ताधिकारः
- अम्लपित्तश्लेष्मपित्ताधिकारः
- राजयक्ष्माधिकारः
- कासरोगाधिकारः
- हिक्काऽधिकारः
- अश्वासरोगाधिकारः
- स्वरभेदाधिकारः
- अरोचकाधिकारः
- छर्द्यधिकारः
- तृष्णाऽधिकारः
- मूर्च्छाभ्रमनिद्रा तन्द्रा संन्यासाधिक
- मदात्ययाधिकारः
- दाहाधिकारः
- उन्मादाधिकारः
- अपस्माराधिकारः
- वातव्याध्यधिकारः
- ऊरुस्तम्भाधिकारः
- आमवाताधिकारः
- पित्तव्याध्यधिकारः
- श्लेष्मव्याध्यधिकारः
- वातरक्ताधिकारः
तृतीय भाग
- शूलाधिकारः
- उदावर्ततानाहाधिकारः
- गुल्माधिकारः
- प्लीहयकृदधिकारः
- हृद्रोगाधिकारः
- मूत्रकृच्छ्राधिकारः
- मूत्राघाताधिकारः
- अश्मरीरोगाधिकारः
- प्रमेहपिडिकाऽधिकारः
- स्थौल्याधिकारः
- कार्श्याधिकारः
- उदराधिकारः
- शोथाधिकारः
- वृद्धिब्रध्नाधिकारः
- गलगण्डगण्डमाला ग्रन्थ्यर्बु
- श्लीपदाधिकारः
- विद्रध्यधिकारः
- व्रणशोथाधिकारः
- भग्नाधिकारः
- नाडीव्रणाधिकारः
- भगन्दराधिकारः
- उपदंशाधिकारः –
- शूकदोषाधिकारः
- कुष्ठरोगाधिकारः
- शीतपित्तोदर्दकोठोत्कोठाधिकारः
- विसर्पाधिकारः
- स्नायुरोगाधिकारः
- विस्फोटकाधिकारः
- फिरंगरोगाधिकारः
- मसूरिकाशीतलाऽधिकारः
- क्षुद्र रोगाधिकारः
- शिरोरोगाधिकारः
- नेत्ररोगाधिकारः
- कर्णरोगाधिकारः
- नासारोगाधिकारः
- मुखरोगाधिकारः
- विषाधिकारः
- स्त्रीरोगाणामधिकाराः
- सोमरोगाधिकारः
- योनिरोगाधिकारः
- बालरोगाधिकारः
उत्तरखण्ड
- वाजीकरणाधिकारः
- रसायनाधिकारः
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शेष अगले एपिसोड में……..
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मैदा कैसे बनाते
भाव प्रकाश ग्रंथ में कृपया बताये
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Is there any sure shot treatment in Ayurveda or acupressure in diseases developed due to compressor of nerves of spine consequently unable to walk properly?
Age is more than 65 years, He is living in Jaipur, Rajasthan.
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