
दुग्ध स्नान से नाजुक (sensitive) त्वचा, धूप की झुलसन (sunburn) या त्वचा पर भूरापन आना (tan) कील मुहासे झाइयाँ दूर होती हैं | दुग्ध स्नान शरीर के साथ-साथ मन को भी शांति प्रदान करता है इसीलिए शायद हिन्दू धर्म में सभी देवी देवताओं को दुग्ध स्नान करवाते है | कुछ लोगों के मुताबिक ये पैसे की बर्बादी है क्योंकि दूध तो पीने के लिए होता है लेकिन इसके गुणों के बारे में जानने के बाद आप ऐसा नहीं कहेंगें क्योंकि इसका लगातार प्रयोग त्वचा के कई छोटे-बड़े रोगों को ठीक करने में अपनी मदद प्रदान करता है |
सामग्री : एक कटोरी गाय, भैंस, बकरी या ऊंटनी का ताजा और बिन उबला हुआ कच्चा दूध;
प्रयोग विधि : रोजाना की ही तरह पहले स्नान कर लें | साबुन / मुल्तानी मिटटी आदि जो भी लगाना हो पहले लगा लें | इसके बाद साफ़ पानी से नहा कर किसी मलमल के तौलिये से अच्छी तरह से शरीर को रगड़ लें | अब एक कटोरी ताज़ा दूध ले लें | हो सके तो बिन उबाला दूध ही लें वह ज्यादा शीतलता प्रदान करेगा | स्नान के बाद उस दूध से अपने चेहरे व साथ ही साथ पूरे शरीर की हल्के व सौम्य हाथ से मालिश करें, कुछ ही मिनटों में दूध चमड़ी की खुश्की को मिटाता हुआ सूख कर झड़ने लगेगा | बदन की मैल भी साथ में मिल कर झड़ने लगेगी | पूरे शरीर की कुछ मिनट मालिश करने के बाद शीतल जल से फिर से स्नान कर लें और इसके बाद तौलिये से हल्का हल्का शरीर को पोंछ लें | बस ध्यान रहे की दूध शरीर पर लगा न रहे इसके लिए हाथों से ही अच्छी तरह रगड़ लें | दूध से स्नान के बाद साबुन न लगायें नहीं तो सारी नमी साबुन के साथ ही बह जाएगी |
इसे रोजाना भी कर सकते हैं, समय के अभाव में जब आपको रुचिकर लगे जितना आपको रुचिकर लगे उतना आप इसे कर सकते हैं | ताजा दूध न मिल पाए तो आप दूध पाउडर का भी प्रयोग कर सकते हैं | दूध स्नान के लाभ को बढाने के लिए आप इसमें कुछ पंखुडियां ताजा देसी गुलाब की भी मिला सकते है |

लाभ : दुग्ध स्नान से रूखी व खुरदरी त्वचा मुलायम बनती है | नाजुक (sensitive) त्वचा वालों की रक्षा होती है | धूप की झुलसन (sunburn) या त्वचा पर भूरापन आना (tan) में आराम मिलता है | रंगत निखारने में मदद मिलती है | कील मुहासे झाइयाँ दूर होती हैं | त्वचा का समय से पहले ही बूढ़े दिखाई देना कम हो जाता है |
सावधानी : दूध स्नान सिर के बालों में न करें | दूध स्नान के बाद अच्छे से साफ़ जल से स्नान करें ताकि चिकनाई या गंध न रहे | कफ़, छींके आने पर, साइनस व तैलीय चेहरा होनें की सूरत में इसे चेहरे पर न लगाएं | कफ़, खांसी या सर्दी लगने पर इसे न ही करें तो अच्छा | रात के समय दुग्ध स्नान से बचें इस से किसी-किसी को जुकाम हो सकता है | बाकी ये बच्चे से लेकर वृद्ध तक रोगी से लेकर योगी तक सबके लिए उपयोगी है |
-आनन्दम आयुर्वेद